- ईडी की जांच में 25 फर्जी शेल कंपनियों का खुलासा, कंपनियों की खरीद-फरोख्त से लेकर हवाला और अंगड़िया नेटवर्क तक की कहानी
Samachar Post रिपोर्टर, रांची : 750 करोड़ रुपये के जीएसटी घोटाले में ईडी ने मुख्य आरोपी शिव कुमार देवड़ा को मास्टरमाइंड के रूप में चिह्नित किया है। जांच में सामने आया कि देवड़ा ने सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि 25 फर्जी शेल कंपनियां बनाकर दूसरे लोगों को भी बेचा। इन कंपनियों को खरीदने वालों से उसने 8,000 से 20,000 रुपये तक वसूले। इनमें एक्रम फाइनेंशियल एडवाइजर प्राइवेट लिमिटेड, चेलबी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, इम्पटम विनियम प्राइवेट लिमिटेड, वेंडिरी वाणिज्य प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियां शामिल हैं।
अधिकारियों पर दबाव की रणनीति
देवड़ा ने घोटाले की जांच करने वाले जीएसटी अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए कंपनियों के निदेशकों से शिकायत पत्र लिखवाए। इन पत्रों में गंभीर आरोप लगाकर अधिकारियों को जांच से दूर करने की कोशिश की जाती थी। साथ ही, सबूत मिटाने के लिए व्यापारिक प्रतिष्ठान समय से पहले बंद कराए जाते थे।
अमित गुप्ता की एंट्री और फर्जी बिल रैकेट
देवड़ा ने कुछ कंपनियां अमित गुप्ता को बेचीं, जिसने फर्जी जीएसटी बिल बनाने का काम शुरू कर दिया। गुप्ता ने अपनी कंपनियों से 30-40% फर्जी बिल बनाकर रांची और जमशेदपुर के व्यापारियों को दिया। उसने अमित अग्रवाल उर्फ विक्की भालोटिया को 5 करोड़ का फर्जी बिल, विवेक नरसरिया को 7 करोड़ का फर्जी बिल दिया।
इन लेन-देन में नकदी के आवागमन के लिए अंगड़िया का सहारा लिया गया और कमीशन के रूप में मिली रकम से ₹14.35 करोड़ की संपत्ति खरीदी गई।
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भालोटिया ने भी कई शेल कंपनियां बनाई
जमशेदपुर के व्यापारी अमित अग्रवाल उर्फ भालोटिया ने भी कई शेल कंपनियां बनाई और 10-12 हजार रुपये मासिक पर निदेशकों से काम लिया। फर्जी बिल जेनरेट करने में कमीशन की नकदी को हवाला कारोबारियों के जरिए बैंकिंग चैनलों में डाला गया।
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