Samachar Post डेस्क, रांची : झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में अतिवृष्टि से हुई तबाही पर विशेष चर्चा हुई। कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने बताया कि भारी बारिश से राज्य में केवल फसलों को ही नहीं, बल्कि मकानों, स्वास्थ्य सेवाओं, पेयजल और बिजली आपूर्ति को भी भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी जिलों से नुकसान की रिपोर्ट मंगाई है। अब तक के आकलन के अनुसार धान की फसल को करीब 10% नुकसान हुआ है, जबकि मोटे अनाज को अधिक क्षति हुई है। नुकसान की भरपाई आपदा राहत कोष और फसल बीमा योजना से की जाएगी।
सामान्य से 70% अधिक बारिश
मंत्री ने बताया कि झारखंड में इस बार सामान्य से 70% ज्यादा बारिश हुई है। जहां देशभर में औसतन 535 मिमी की तुलना में 536 मिमी बारिश दर्ज की गई, वहीं राज्य में 760 मिमी बारिश रिकॉर्ड हुई। यह पिछले साल की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार कुछ जिलों में बारिश सामान्य से कई गुना ज्यादा हुई है, सरायकेला में 240%, लोहरदगा में 300%, रांची में 196%, चतरा में 177% और खूंटी में 153%।
यूरिया वितरण पर सख्ती
यूरिया की कमी और वितरण में गड़बड़ी पर मंत्री ने जानकारी दी कि राज्यभर में 500 से अधिक छापेमारी की गई। इसमें 8 लाइसेंस निलंबित, 21 रद्द और 2 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है। इस बार यूरिया की मांग अधिक रही, जबकि केंद्र सरकार से 1.60 लाख मीट्रिक टन की तुलना में केवल 1.13 लाख मीट्रिक टन ही उपलब्ध कराया गया। राज्य सरकार ने इस संबंध में केंद्र को पत्र लिखा है।
राहत और मुआवजा प्रक्रिया
सरकार ने अब तक आपदा प्रभावितों को 48.15 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। राहत और पुनर्वास कार्यों के लिए चार महीने में 52 करोड़ रुपये जिलों को आवंटित किए गए हैं। जिलों को निर्देश दिया गया है कि वे 24 घंटे के भीतर नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट भेजें, ताकि प्रभावित परिवारों को त्वरित मुआवजा दिया जा सके।
आपदाओं में 486 मौतें और हजारों मकान क्षतिग्रस्त
आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने सदन को बताया कि इस साल अब तक राज्य में प्राकृतिक आपदाओं से 486 लोगों की जान गई है। इनमें वज्रपात से 188, डूबने से 192, सर्पदंश से 96, अतिवृष्टि से 9 और बाढ़ से 1 मौत शामिल है।
बारिश और आपदाओं से मकानों को भी भारी नुकसान हुआ है। 10,900 कच्चे मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं, 474 कच्चे मकान पूरी तरह ढह गए हैं। वहीं, 212 पक्के मकान आंशिक रूप से और 18 पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसके अलावा 23,886 हेक्टेयर कृषि भूमि प्रभावित हुई है।
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मुआवजे में पोस्टमॉर्टम की बाधा
विधायक मथुरा महतो ने सदन में कहा कि वज्रपात से मौत के बाद कई आदिवासी परिवार पोस्टमॉर्टम नहीं कराते, जिससे मुआवजे की प्रक्रिया प्रभावित होती है। इस पर मंत्री अंसारी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय में भी ऐसी ही स्थिति देखने को मिलती है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर केंद्र से दिशा-निर्देश मांगेगी और जैसे ही नई गाइडलाइन मिलेगी, राज्य में व्यवस्था लागू की जाएगी।
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