Samachar Post डेस्क, रांची : रांची में जमीन धोखाधड़ी के एक मामले में दर्ज प्राथमिकी को लेकर प्रशासनिक विवाद खड़ा हो गया है। रांची डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने चुटिया थाना में दर्ज एफआईआर पर आपत्ति जताई है और गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखते हुए कहा है कि यह नियमसंगत नहीं है।
25 जुलाई को दर्ज हुई थी प्राथमिकी
यह मामला 25 जुलाई को सामने आया था, जब चुटिया थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई। आरोप लगाया गया कि सरकारी पदों का दुरुपयोग करते हुए फर्जी डीड, वंशावली, पंजी-2 और शपथ पत्र के आधार पर जमीन का फर्जीवाड़ा किया गया। शिकायतकर्ता गीता ज्ञानी के अनुसार, 83 वर्षीय निसंतान महिला अस्तोरन देवी को बहला-फुसलाकर इस साजिश में शामिल किया गया।
SIT की सिफारिशों पर हुई कार्रवाई
इस मामले की जांच सीआईडी के संगठित अपराध के आईजी सुदर्शन प्रसाद मंडल के नेतृत्व में गठित एसआईटी ने की थी। एसआईटी की सिफारिशों के आधार पर ही पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।
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किन-किन लोगों के नाम शामिल
एफआईआर में तत्कालीन अंचलाधिकारी रवींद्र कुमार, अरविंद कुमार ओझा, सुमन कुमार सौरभ, अंचल निरीक्षक कमलकांत वर्मा, अनिल कुमार गुप्ता, राजस्व कर्मचारी सुनील मिंज और मनोरथ भगत के नाम शामिल हैं। इसके अलावा रवि गोप, नवनीत महतो, आयुष महतो और उनकी पत्नियों के नाम भी प्राथमिकी में दर्ज किए गए हैं।
डीसी ने गृह विभाग को भेजे पत्र में कई महत्वपूर्ण बिंदु उठाए हैं
- विभागीय अनुमति जरूरी : राज्य सेवा के अधिकारियों पर उनके सरकारी कार्यों से जुड़े मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने से पहले उनके प्रशासी विभाग की अनुमति आवश्यक है।
- अपील का प्रावधान : राजस्व से जुड़े मामलों में अपील और पुनरीक्षण की प्रक्रिया होती है। लेकिन इस मामले में सीधे एफआईआर दर्ज की गई, जबकि पहले अपील का रास्ता अपनाना चाहिए था।
- मनोबल पर असर : डीसी का कहना है कि ऐसे मामलों से राजस्व कर्मियों का मनोबल गिर रहा है और वे भविष्य में सरकारी निर्देशों के पालन से हिचक सकते हैं।
सरकारी कामकाज पर पड़ेगा बुरा असर
डीसी ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि इस तरह की प्राथमिकी से न केवल सरकारी कार्यों पर असर पड़ेगा बल्कि यह भविष्य में एक गलत मिसाल भी बन सकता है।
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