Samachar Post डेस्क, रांची : नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने झारखंड के पूर्वी सिंहभूम की भयावह स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि घाटशिला के पारुलिया और दुमका कोचा गांवों में सबर और बिरहोर जनजाति इतनी लाचार हो चुकी है कि माता-पिता अपने छोटे बच्चों को खाना नहीं, बल्कि नशा देकर चुप कराते हैं।
बचपन किताबों और खिलौनों से नहीं, नशे से भर रहा
बाबूलाल ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, जिस उम्र में बच्चों के हाथों में किताबें और खिलौने होने चाहिए, उस उम्र में उन्हें नशे की लत में धकेला जा रहा है। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं उनसे कोसों दूर हैं।
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सरकार पर साधा निशाना
मरांडी ने सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा, खुद को आदिवासी हितैषी बताने वाली सरकार को आज शर्म से सिर झुका लेना चाहिए। जिन आदिवासियों की आवाज पर यह सत्ता में आई, उन्हीं को जीवन और शिक्षा से वंचित कर दिया गया है। सबर और बिरहोर जनजातियां हमारी पहचान और अस्मिता का हिस्सा हैं, लेकिन भूख और नशे ने उन्हें लुप्त होने की कगार पर ला दिया है।
एनकाउंटर में खामोश कर दिया जाता है
उन्होंने कहा कि जो भी इन बच्चों की शिक्षा और भविष्य के लिए आवाज उठाता है, उसे एनकाउंटर में खामोश कर दिया जाता है। सूर्या हांसदा प्रकरण का जिक्र करते हुए बाबूलाल ने सवाल उठाया, सूर्या हांसदा बच्चों की शिक्षा और भविष्य के लिए काम कर रहे थे, क्या यही उनका अपराध था? क्या इसी वजह से उनकी हत्या कर दी गई?
न्याय मिलने तक चुप नहीं बैठेंगे
मरांडी ने कहा कि सूर्या हांसदा के साथ-साथ इन बच्चों के भविष्य को भी न्याय मिलना चाहिए। जब तक गुनहगारों को सज़ा नहीं मिलती, हम चुप नहीं बैठेंगे। ताकि भविष्य में किसी आदिवासी उत्थान के लिए काम करने वाले को सरकार और पुलिस की तानाशाही के चलते अपनी जान न गंवानी पड़े।
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मैंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बतौर रिपोर्टर मेरा अनुभव फिलहाल एक साल से कम है। सामाचार पोस्ट मीडिया के साथ जुड़कर स्टाफ रिपोर्टर के रूप में काम कर रही हूं।