- डीकेएमएस फाउंडेशन इंडिया की अपील: स्टेम सेल डोनर बनकर बचा सकते हैं किसी की जान
Samachar Post रिपोर्टर, रांची : हजारीबाग की 27 वर्षीय कृति सिंह इस वक्त क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया (सीएमएल) से जूझ रही हैं। 13 साल की उम्र में इस बीमारी का पता चलने के बाद उन्होंने वर्षों तक दवाओं के सहारे सामान्य जीवन जीने की कोशिश की। लेकिन अब बीमारी ऐसे मोड़ पर आ गई है, जहां केवल स्टेम सेल ट्रांसप्लांट ही इलाज का एकमात्र उपाय है। इसके लिए एक मेल खाने वाले रक्त स्टेम सेल डोनर की सख्त ज़रूरत है। डीकेएमएस फाउंडेशन इंडिया ने लोगों से अपील की है कि वे पंजीकरण कर इस अभियान का हिस्सा बनें और कृति जैसी जिंदगियों को एक नई उम्मीद दें।
कृति का कहना है कि अब सिर्फ एक डोनर ही मेरी जिंदगी बदल सकता है। उसका सपना है कि वे एक दिन खुद का फैशन बुटीक खोलें, लेकिन उससे पहले उन्हें जीवन का साथ चाहिए।
भारत में हर 5 मिनट में एक व्यक्ति ब्लड कैंसर का शिकार
राजीव गांधी कैंसर संस्थान, नई दिल्ली के बोन मैरो ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ. दिनेश भूरानी कहते हैं कि भारत में हर पांच मिनट में एक व्यक्ति रक्त कैंसर या रक्त विकार से ग्रस्त पाया जाता है। लेकिन भारत में एसएलए टाइप की विविधता अधिक होने के कारण मेल खाता डोनर मिलना बेहद कठिन होता है।
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भारत में स्टेम सेल डोनर की स्थिति
भारत में आबादी के अनुपात में स्टेम सेल डोनरों की संख्या बेहद कम है। DKMS के अनुसार, देश में केवल 0.09 प्रतिशत लोग ही पंजीकृत स्टेम सेल डोनर हैं। ऐसे में किसी भी मरीज के लिए उपयुक्त HLA टाइप वाला मेल डोनर ढूंढना काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
कैसे बन सकते हैं स्टेम सेल डोनर
18 से 50 वर्ष की आयु के कोई भी स्वस्थ व्यक्ति डीकेएमएस इंडिया की वेबसाइट www.dkms-india.org/register-now पर जाकर घर बैठे होम स्वैब किट मंगवा सकते हैं। किट में गाल के अंदर से सैंपल लेकर उसे वापस भेजना होता है। इसके बाद डीकेएमएस आपकी एचएलए प्रोफाइल को ग्लोबल डोनर डेटाबेस में शामिल कर देता है। यदि आपका टिशू टाइप किसी जरूरतमंद मरीज़ से मेल खाता है, तो संस्था आपसे संपर्क करती है।