Samachar Post रिपोर्टर, रांची : बच्चों के विरुद्ध हिंसा की बढ़ती घटनाओं और उसके गंभीर प्रभावों को देखते हुए इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी) द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय पहल के तहत 15 जून को रांची के निजी होटल में एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बाल रोग विशेषज्ञों और चिकित्सा पेशेवरों को बाल हिंसा की पहचान, रोकथाम और पीड़ितों को उचित सहयोग देने के लिए प्रशिक्षित करना है। इस कार्यशाला में झारखंड भर से 50 से अधिक बाल रोग विशेषज्ञ और अन्य चिकित्सा विशेषज्ञ भाग लेंगे। कक्षाओं का संचालन बाल संरक्षण एवं मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र के अनुभवी विशेषज्ञ करेंगे।
आईएपी ने 2023 में शुरू की थी बाल हिंसा रोकथाम कार्यक्रम
आईएपी द्वारा साल 2023 में शुरू की गई इस “बाल हिंसा रोकथाम कार्यक्रम’ के तहत न केवल चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, बल्कि अभिभावकों, शिक्षकों, पुलिस, कानूनी पेशेवरों और अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मियों के लिए भी वीडियो, स्क्रीनिंग टूल और जागरूकता सामग्री को भारत की 10 प्रमुख भाषाओं में तैयार कर प्रसारित किया जाएगा। शुक्रवार को आईएमए सभागार में इस कार्यशाला को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चिकित्सकों ने जानकारी दी।
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प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये चिकित्सक रहें शामिल
प्रेस कॉन्फ्रेंस में इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स झारखंड स्टेट ब्रांच के प्रेसिडेंट डॉ. राजीव मिश्रा, सचिव डॉ. राजेश कुमार, उपाध्यक्ष डॉ. पार्थ कुमार चौधरी, कोषाध्यक्ष डॉ. अनिताभ कुमार, डॉ. श्याम सिडाना समेत अन्य शामिल थे। डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि 2 से 17 वर्ष के करीब 1 अरब बच्चे किसी न किसी रूप में शारीरिक, मानसिक, यौन हिंसा या उपेक्षा का शिकार होते हैं, जिससे उनके मानसिक और शारीरिक विकास पर गहरा असर पड़ता है। इस पहल के माध्यम से आईएपी का उद्देश्य बाल हिंसा के दुष्परिणामों को रोकना और बच्चों को एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करना है।