
- आयुष्मान भारत योजना बनी प्राइवेट अस्पतालों के लिए संकट, 10 महीने से रुका है भुगतान
- राज्यभर में अस्पतालों पर ताले लगने की नौबत, 140 करोड़ रुपये का बकाया
Samachar Post, रांची : झारखंड में आयुष्मान भारत योजना (मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना) का लाभ गरीबों तक तो पहुंच रहा है, लेकिन राज्य के निजी अस्पताल अब इस योजना के चलते गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। पिछले 10 महीनों से योजना के तहत भुगतान न मिलने से 200 से अधिक निजी अस्पताल बंदी के कगार पर हैं। कई जिलों में छोटे अस्पतालों ने अपने दरवाजे भी बंद कर दिए हैं। इधर, सैकड़ों अस्पताल में फरवरी 2025 से भुगतान लंबित है।
प्राइवेट अस्पतालों पर बढ़ता दबाव
झारखंड में कुल 750 निजी अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत सूचीबद्ध हैं। इन अस्पतालों में लगभग सभी को फरवरी 2025 से कोई भुगतान नहीं मिला है। वहीं, विशेष रूप से 212 अस्पतालों को 10 महीनों से कोई राशि नहीं मिली, जिससे उनकी संचालन व्यवस्था चरमरा गई है। हजारीबाग में 20 छोटे अस्पताल पहले ही बंद हो चुके हैं। पलामू और गिरिडीह जैसे जिलों में भी स्थिति बिगड़ती जा रही है।
डॉक्टरों का आरोप- सरकार दे रही सिर्फ आश्वासन
आईएमए (हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया) झारखंड के सचिव डॉ. शंभु प्रसाद सिंह ने कहा कि यह योजना गरीबों के लिए वरदान है, लेकिन अस्पतालों के लिए यह अब आफत बन गई है। आईएमए झारखंड के सचिव डॉ. प्रदीप सिंह ने कहा, राज्य सरकार सिर्फ आश्वासन देती है। कभी सॉफ्टवेयर की समस्या तो कभी फर्जीवाड़े की जांच का हवाला दिया जाता है, लेकिन भुगतान नहीं होता। उन्होंने बताया कि करीब ₹140 करोड़ का भुगतान सरकार के पास अटका है।
फ्रॉड के आरोपों में भी स्पष्टता नहीं
डॉ. प्रदीप सिंह के अनुसार, राज्य के 212 अस्पतालों पर नेशनल एंटी फ्रॉड यूनिट की ओर से जांच चल रही है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इनमें से कई अस्पतालों को आरोप मुक्त भी किया जा चुका है। इसके बावजूद उन्हें बीते महीनों में दी गई सेवाओं का भुगतान नहीं मिला है। डॉ. प्रदीप ने सवाल उठाया कि जब इलाज बंद करने को नहीं कहा गया, तो भुगतान रोकना कहां तक उचित है?
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चेतावनी : एक सप्ताह में भुगतान नहीं तो चरमरा सकती है राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था
प्राइवेट हॉस्पिटल एसोसिएशन के डॉ. अनंत सिन्हा और अन्य वरिष्ठ डॉक्टरों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार ने एक सप्ताह में ठोस पहल नहीं की, तो राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा सकती है। डॉक्टरों ने यह भी स्पष्ट किया कि अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर, नर्स और स्टाफ की नौकरियां भी संकट में आ गई हैं, जिसका असर आम जनता की स्वास्थ्य सुविधाओं पर पड़ेगा। प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ अमित मोहन, डॉ लाल मांझी, डॉ राजेश कुमार, डॉ अभिषेक रामाधीन और अन्य डॉक्टर शामिल थे।