
- झारखंड के इकलौते हेमेटोलॉजिस्ट डॉ. अभिषेक रंजन की पहल पर हो रहा यह नेशनल कॉन्फ्रेंस।
- सीएमसी वेल्लोर, एम्स दिल्ली, एसजीपीजीआई समेत बड़े-बड़े संस्थानों से शामिल हो रहे एचओडी और सीनियर डॉक्टर।
Samachar Post, रांची : खून की बीमारियों पर केंद्रित पूर्वी भारत का सबसे बड़ा साइंटिफिक कॉन्फ्रेंस 9वां वार्षिक ईस्टर्न हीमेटोलॉजी ग्रुप कांग्रेस (EHGCon 2025) रांची में 23 से 25 मई 2025 तक आयोजित किया जा रहा है। यह पहली बार है जब झारखंड में इस स्तर का राष्ट्रीय सम्मेलन हो रहा है। 23 मई की शाम करीब 7 बजे स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी इसका उद्घाटन करेंगे। आयोजन की अगुवाई राज्य के इकलौते क्लीनिकल हेमेटोलॉजिस्ट और सदर अस्पताल में कार्यरत डॉ. अभिषेक रंजन कर रहे हैं। उनके साथ को-ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी के रूप में डॉ. अजय के. महालका जुड़े हैं, जो पेरिस के मैडम क्यूरी कैंसर हॉस्पिटल में सीनियर साइंटिस्ट के रूप में सेवा दे चुके हैं और फिलहाल रांची में जेनेटिक हेल्थ एक्सपर्ट के तौर पर कार्यरत हैं।
बुधवार को इस सम्मेलन को लेकर सदर अस्पताल के सिविल सर्जन कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया, जहां सिविल सर्जन डॉ. प्रभात कुमार, हेमेटोलॉजिस्ट डॉ. अभिषेक रंजन और डॉ. अजय के. महालका ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस राष्ट्रीय सम्मेलन में देश के बड़े-बड़े मेडिकल काॅलेज और अस्पतलों से एचओडी और सीनियर फैकल्टी शामिल होंगे। सभी सम्मेलन के दौरान खून की बीमारियों, खासकर सिकल सेल डिजीज, थैलेसीमिया और ल्यूकेमिया जैसे कैंसर की बेहतर जांच, इलाज और निदान को लेकर अपनी बातें रखेंगे। यह आयोजन न केवल चिकित्सकों के लिए बल्कि आम लोगों के लिए भी जागरूकता का माध्यम बनेगा।
सम्मेलन में इन बिंदुओं पर होगा विशेष फोकस…
- 150 सिकल सेल रोगियों के लिए स्वास्थ्य जांच और जागरूकता कार्यक्रम।
- 24 मई की सुबह “ब्लड डिजीज अवेयरनेस वॉकथॉन’ का आयोजन।
- सिकल सेल रोग पर कार्यशाला और सीएमई, जिसमें झारखंड के प्रत्येक जिले से 5 डॉक्टर सहित 100 डॉक्टर भाग लेंगे।
- रिम्स समेत अन्य मेडिकल कॉलेज से 150 रेजिडेंट डॉक्टर और पीजी छात्र सम्मेलन में भाग लेंगे।
- देशभर के 100 डेलीगेट्स और पूर्वी भारत के चिकित्सक होंगे शामिल।
- 50 शोध-पत्रों पर होगा विचार-विमर्श।
- देशभर के 60 फैकल्टी एक्सपर्ट्स विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।
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सम्मेलन में हेमेटोलॉजिस्ट, फिजीशियन और ऑब्स्टेट्रिशियन के बीच साझा चर्चा का मिलेगा फायदा
सिविल सर्जन डॉ. प्रभात कुमार ने बताया कि इस राष्ट्रीय सम्मेलन में हेमेटोलॉजिस्ट, फिजीशियन और ऑब्स्टेट्रिशियन के बीच साझा चर्चा के माध्यम से बहु-आयामी दृष्टिकोण विकसित किया जाएगा। इसके साथ ही खून से जुड़ी बीमारियों की नई तकनीकों और इलाज के तौर-तरीकों पर विचार साझा किए जाएंगे, जिनका सीधा लाभ मरीजों को मिलेगा, खासकर झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में मिलेगी।
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खून संबंधित बीमारियों के इलाज में रांची सदर अस्पताल देश भर में अव्वल
डॉ. अभिषेक रंजन का मानना है कि झारखंड में इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। राज्य को जल्द ही एक संपूर्ण क्लीनिकल हीमेटोलॉजी विभाग, बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट और हेमोग्लोबिनोपैथी के लिए जेनेटिक वैज्ञानिक की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि आमजन को समय पर और बेहतर इलाज मिल सके। उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल में इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है, जल्द अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी किए जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि रांची सदर अस्पताल देश का पहला सरकारी अस्पताल हे जहां खून संबंधित बीमारियों का बेहतर इलाज जारी है। पहला अस्पताल है जहां थैलेसिमिया डे केयर में सबसे ज्यादा रोगी रजिस्टर्ड हैं।
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