आंखों से जुड़ी बीमारियों को लेकर प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय शर्मा से बात की, उन्होंने कहा- 40 साल के ऊपर के लोगों में होने वाली सबसे कॉमन बीमारी है मैक्युलर, मैक्युला रेटिना का वह हिस्सा है जो दूर देखने में मदद करता है। अगर किसी कारण इस हिस्से में तरल पदार्थ जमा हो जाए या सूजन आ जाए तो जा सकती है आंखों की रोशनी
Anupam Kumar, रांची : मानव शरीर का सबसे एहम हिस्सा आंख होती है, जिसका सबसे नाज़ुक भाग रेटिना है। रेटिना की मदद से हम लोग सामने होने वाली हलचल को देख और समझ पते हैं। बदलते लाइफस्टाइल और हमारी नज़रान्दाज़ करने की आदत के कारण हमारी आंखों में होने वाली समस्या बढ़ती नजर आ रही है। उन्ही समस्याओं में से एक है रेटिना से जुड़ी समस्या है। इस समस्या को लेकर हमने देश के प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डाॅ. अजय शर्मा से बात की। डॉ. अजय शर्मा आई-क्यू सुपरस्पेशियलिटी आई हॉस्पिटल के फाउंडर और चीफ मेडिकल डायरेक्टर हैं। उन्होंने मैक्युलर बीमारी के बारे विस्तार से बात की, बताया कि 40 साल से ऊपर के लोगों के आंखों में होने वाली यह सबसे आम बीमारी है।
डॉ. अजय शर्मा ने बताया कि आंख के पिछले पर्दे को रेटिना कहा जाता है। इसमें कुछ कोशिकाएं मौजूद होती हैं, जिनकी मदद से प्रकाश पहुंचता है और उसी प्रकाश के कारण हम देखने में सक्षम होते हैं। आंख की ज्यादातर बीमारी रेटिना में किसी भी तरह की खराबी की वजह से होती है। रेटिना में किसी भी तरह की समस्या होने से विजन पावर कम हो जाती है। रेटिना आंख का सबसे नाज़ुक हिस्सा होता है और इसमें ज्यादातर सूजन की शिकायत हो सकती है, जिसे मेडिकल भाषा में मैक्युलर कहते हैं।
मैक्युलर क्या है?
डॉ. अजय शर्मा के अनुसार, मैक्युला रेटिना का वह हिस्सा होता है जो हमें दूर देखने में मदद करता है। यदि किसी कारण इस हिस्से में तरल पदार्थ जमा हो जाए या सूजन आ जाए तो दृष्टि को हानि पहुंचती है। किसी भी प्रकार के आंखों की समस्या के साथ-साथ आंखों की रोशनी जाने का खतरा हो सकता है।
क्या है मैक्युलर के लक्षण
मैक्युलर के लक्षण आम रूप से दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन इसमें आंखों में दर्द होना आम है। जब सूजन बढ़ने लगती है और रक्त नलिकाओं में ब्लॉकेज आने लगती है, तब देखने में दिक्कत आती है और चीजें धुंधली दिखाई देती हैं। इन सबके के सिवा अन्य लक्षण कुछ इस प्रकार हैं-
- आंखों के सामने अंधेरा छा जाना।
- चीजें हिलती हुई दिखना।
- पढ़ने में मुश्किल होना।
- रंगों को पहचने में दिक्कत या रंग न दिखाई देना।
- रेखाएं टेढ़ी दिखाई देना।
- तेज रोशनी से संवेदनशील हो जाना।
यह समस्या एक आंख में होती है और इसका पता गंभीर होने पर ही पता लग पाता है। वैसे यदि किसी को यह समस्या होती है, तो दूसरी आंख में होने की आशंका 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
मैक्युलर बीमारी होने के कारण?
मैक्युलर की समस्या होने के अलग-अलग कारण हो सकते हैं लेकिन सबसे ज्यादा डायबिटीज के रोगियों और बढ़ती उम्र के लोगों को इसका शिकार होना पड़ता है। इस समस्या से कई बार उन लोगों को भी खतरा हो सकता है, जिनके परिवार में किसी को आंखों के रोगों की समस्या रही हो। इसके सिवा कुछ अन्य कारण यह हो सकते हैं-
- रक्त वाहिनियों से जुड़ी समस्या
- किसी दवाई का साइड इफेक्टजेनेटिक
- आंख में ट्यूमर होना
- मैक्युला में छेद होना
- रेडिएशन के कारण
- आंख में चोट लग जाना
- मोतियाबिंद, ग्लुकोमा या रेटिना संबंधी मामलों में हुई किसी भी तरह की सर्जरी के कारण इस समस्या का होना, आदि।
रेटिना खराब होने पर क्या है इसका ट्रीटमेंट
डॉ. अजय शर्मा ने कहा कि यदि किसी को यह समस्या हो जाए तो सही समय पर उपचार करवाया जा सकता है, जिससे भविष्य में होने वाली तकलीफ से बचा जा सकता है। इसमें मैक्युला और उसके आसपास असामान्य रक्त वाहिकाओं को ठीक किया जाता है। मैक्युलर के उपचार में दवाएं, लेजर और सर्जरी की जाती है। इस समस्या के उपचार के लिए सबसे प्रचलित इंट्राविट्रियल इंजेक्शन (आईवीआई) है। यदि मैक्युलर एक ही जगह हो तो फोकल लेजर किया जाता है।
अब फोकल लेजर ट्रीटमेंट को समझिए
इस प्रक्रिया में मैक्युला की सूजन कम करने का प्रयास किया जाता है। लेजर सर्जरी में रक्त नलिकाओं को सील करने का प्रयास किया जाता है। अधिकतर मामलों में फोकल लेजर ट्रीटमेंट से आंखों की रोशनी में सुधार आ जाता है।
हेल्थ एक्सप्रेस : 40 साल की उम्र के बाद आखों में होने वाली सबसे आम बीमारी है मैक्युलर डीजेनेरेशन, जानिए क्या है बीमारी, इसके लक्षण और उपचार। @drvikas1111 @HLTH_JHARKHAND @DailyHealthTips @Sakshii_ss_https://t.co/Q5FUCvkELy
— Samachar Post (@samachar_post) May 15, 2024