- नतीजा : प्राइवेट सेंटरों काे पहुंच रहा फायदा, रिम्स के 500 मीटर दायरे में 11 जांच घर- 1 दिन की औसत कमाई 2 लाख प्रति सेंटर
- हर दिन रिम्स में होने वाले औसत जांच का विश्लेषण : 600 एक्सरे, 400 सीटी स्कैन, 350 एमआरआई और 500 के करीब अल्ट्रासाउंड प्रतिदिन लिखते है रिम्स के डॉक्टर्स
Samachar Post, रांची : रिम्स राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल है। न सिर्फ राजधानी, राज्य बल्कि दूसरे राज्य के मरीजों के लिए भी रिम्स को वरदान माना जाता है। लेकिन सवाल यह है कि ये कैसा वरदान है जहां की जांच व्यवस्था खुद बीमार है। रिम्स के रेडियोलॉजी विभाग में सभी तरह की जांच लगभग बंद पड़ी हुई है। एक्सरे मशीन खराब होने के कारण रूम में ताला लटका हुआ है। पुराने एक्सरे सेंटर में सिर्फ चेस्ट की एक्सरे हो रही है, इसके अलावा सभी एक्सरे बंद हैं। यहीं नही, एमआरआई जांच पिछले डेढ़ साल से बंद है। आउटडेटेड मशीन होने के कारण इसकी रिपेयर भी नही कराई जा रही, क्योंकि मरम्मत के बाद 15 दिन के भीतर मशीन खराब हो जाती है। रिम्स में जांच बंद होने का पूरा फायदा आसपास के प्राइवेट रेडियोलॉजी सेंटर उठा रहे हैं। टीम ने पड़ताल की, पता चला कि रिम्स के आसपास के हर जांच घर की प्रतिदिन करीब 2 लाख की कमाई है। ये कमाई सिर्फ रिम्स के रोगियों के बदौलत है। जानिए कमाई का विश्लेषण।
रिम्स में हर दिन औसतन 1850 रोगी को लिखी जाती है रेडियोलॉजिकल टेस्ट
रिम्स में हर दिन करीब 1850 रोगियों को विभिन्न रेडियोलाॅजिकल जांच लिखी जाती है। इनमें अधिकांश आउडडोर पेशेंट होते हैं, जबकि 20% के करीब भर्ती मरीज। इन 1850 रोगियों में प्रतिदिन औसतन 600 मरीज को मेडिसिन, चेस्ट, सर्जरी, न्यूरो, कार्डियोलाॅजी, सीटीवीएस, क्रिटिकल केयर, ईएनटी समेत अन्य विभाग में एक्सरे लिखी जाती है। जबकि 400 मरीजों को सीटी स्कैन, 350 रोगियों को एमआरआई और 500 के करीब मरीजों को अल्ट्रासोनोग्राफी कराने की सलाह दी जाती है।
रिम्स के 500 मीटर परिधि में 11 रेडियोलॉजी सेंटर, प्रतिदिन 22 लाख की कमाई
रिम्स के आसपास 500 मीटर की परिधि में करीब 11 रेडियोलॉजी सेंटर हैं। रिम्स में जांच बंद होने के कारण इन सेंटरों की चांदी होती है। प्राइवेट सेंटर में एक्सरे की न्यूनतम दर 200 रूपये है। यानी एक दिन में 600 लोगों के जांच के 1.2 लाख लोगाें को चुनाने पड़ते हैं। इसी तरह सीटी स्कैन का न्यूनतम दर 2000 से 6000 तक है। ऐसे में 2000(रुपये)x400(जांच) मतलब 8 लाख। एमआरआई के लिए 2500(रुपये)x350(जांच) यानी 8.75 लाख और यूएसजी के लिए 800(रुपये)x500(जांच) के हिसाब से 4 लाख खर्च करने पड़ रहे हैं। ऐसे में कुल जांच के लिए लोगों को प्रतिदिन प्राइवेट लैब में 21.95 लाख खर्चने की नौबत आ गई है। 11 सेंटर अगर बराबर जांच भी करे तो रोजाना 2 लाख के करीब इनकी कमाई है।
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एमआरआई टेस्ट :: मशीन खराब… क्योंकि बनाने में लगेंगे 10 लाख से ज्यादा खर्च
मिली जानकारी के अनुसार, रिम्स में इंस्टॉल्ड एमआरआई मशीन इसलिए खराब पड़ी है क्योंकि यह 15 साल से ज्यादा पूरानी है। बार-बार खराब होने पर प्रबंधन इसकी मरम्मत पर 2 से 3 लाख खर्च करती है। एक महीने भी ठीक से नही चलती है और फिर खराब पड़ जाती है। सूत्रों ने बताया कि इस बार भी मशीन की मेंटेनेंस कर रही एजेंसी ने रिम्स प्रबंधन को 10 लाख से ज्यादा का रेट दिया है। इसलिए प्रबंधन अब पूरानी मशीन की मरम्मत छोड़ नई मशीन खरीद की तैयारी में लगा है।
सीटी स्कैन :: मशीन ठीक है, पर लंबी वेटिंग
सीटी स्कैन के लिए रिम्स प्रबंधन ने दो साल के अंतराल में ही दो नई एडवांस मशीनें खरीदी है। एक मशीन 256 स्लाइस और दूसरी मशीन 128 स्लाइस की है। बावजूद रिम्स में सीटी स्कैन के लिए लंबी वेटिंग है। रिम्स प्रबंधन जांच घर चलाने में नाकाम साबित हो रही है, क्योंकि प्राइवेट लैब एक दिन में 100 से ज्यादा टेस्ट कर रहे हैं और अपनी मशीन अपने डॉक्टरों के साथ 50 टेस्ट करने में भी रिम्स की सांस फूल रही है।
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पीपीपी मोड में संचालित हेल्थ मैप में रिम्स का 50% लोड, बाकी प्राइवेट में…
रिम्स की मशीन बंद होने के बाद सबसे ज्यादा मरीजों की भीड़ पीपीपी मोड में रिम्स में संचालित हेल्थ मैप में है। यहां रिम्स के कुल मरीजों का 50% लोड है। एक्सरे, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड समेत अन्य जांच के लिए दिन भी लंबी कतार देखने को मिल रही है। हेल्थ मैप में भी एक्सरे के लिए शुरूआती शुल्क 210 रुपये है। इसके अलावा अन्य रोगी दूसरे प्राइवेट सेंटर से जांच करा रहे हैं।
प्रबंधन बाेला…एक्सरे जांच हो रही है। मैंने इसकी जानकारी ली थी। लेकिन अगर आप बता रहे हैं कि ताला लटका हुआ था तो यह जांच का विषय है। मैं इसकी जानकारी लूंगा। एमआरआई की जहां तक बात है, मशीन पूरानी है इसलिए खराब पड़ी हुई है। नई मशीन के लिए टेंडर किया जा चुका है।-डॉ. शैलेश त्रिपाठी, उपाधीक्षक रिम्स।