Anupam Kumar, रांची : मलेरिया के कारण हर साल बड़ी संख्या में लोग जान गंवा देते हैं। इससे भी कई गुणा लोग मलेरिया के चपेट में होते हैं। इस कारण सरकार व आम लोगों पर भारी आर्थिक बोझ भी पड़ता है। मलेरिया मुक्त विश्व की परिकल्पना को साकार करने के लिए लिए वैश्विक स्तर पर हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। इस बीमारी के उन्मूलन के लिए समय पर जांच, इलाज और नये इलाके/नये लोगों में फैलने से रोकना जरूरी है। विश्व मलेरिया दिवस के अवसर पर मलेरिया से जुड़े हर पक्ष के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है, ताकि इसके प्रसार को रोका जा सके। जहां विश्व स्तर पर हाल साल करोड़ों लोग मलेरिया की चपेट में आते हैं, जबकि भारत में झारखंड उन 5 राज्यों में एक है जहां मलेरिया के सबसे अधिक मामले दर्ज किए जाते रहे हैं।
झारखंड के अलावा ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और मेघालय में वेक्टर जनित इस बीमारी के अत्यधिक मामले दर्ज किए जाते हैं। 2019 में देश भर में मलेरिया के कुल मामलों में 45.47 प्रतिशत मामले इन्हीं राज्यों में दर्ज किए गए थे। भौगोलिक स्थिति और जंगल झाड़ से भरे प्रदेश में तमाम बाधाओं के बावजूद झारखंड ने मलेरिया मामले को कम करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है और वर्ष 2017 से 2022 के बीच राज्य में मलेरिया के मामलों की संख्या साल-दर-साल कम हुई है। लेकिन 2023 में जांच का दायरा बढ़ने पर एक बार फिर केस में भारी उछाल हुआ है।
राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में तीसरे स्थान पर रहा झारखंड
विश्व स्वास्थ्य संगठन की विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2020 के आधार पर झारखंड मलेरिया उन्मूलन के राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में तीसरे स्थान पर रहा है। यह स्थान अब भी बरकरार है। राज्य में मलेरिया के सालाना आंकड़ों की बात करें तो 7 सालों में लगातार कमी दर्ज की गई है। लेकिन पिछले साल भारी इजाफा भी हुआ है। 2017 में झारखंड में 94,114 मामले मलेरिया के थे, जबकि 2018 में 57,095 केस दर्ज किए गए, यह 39 प्रतिशत की कमी थी। फिर 2019 में 37,133 मामले दर्ज हुए और 35 प्रतिशत की कमी आयी। 2020 में 55 प्रतिशत की कमी के साथ 16,653 मामले दर्ज किए गए। जबकि साल 2021 में 2019 की तुलना में 19 प्रतिशत कम मामले दर्ज किए गए और संख्या घट कर 13,426 हो गई। 2022 में भी 19168 मामले रिपोर्ट किए गए थे। लेकिन इधर, पिछले साल जांच का दायरा बढ़ाया गया ताे 2022 की तुलना में करीब 44% केस की बढ़ोत्तरी के साथ 34087 नए मामलों की पुष्टि हुई है।
झारखंड में 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य
झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि आदिवासी क्षेत्र में भी इस बीमारी को लेकर लोगों में जागरुकता फैलाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है, जिसका परिणाम है कि अब यहां पहले की तुलना में मलेरिया के मामलों में काफी कमी दिखाई दे रही है। राज्य ने मलेरिया के कारण होने वाली कम मृत्यु दर को बनाए रखा है और वर्ष 2017-2021 के दौरान मलेरिया के कारण मौतों की संख्या शून्य से 0.04 फीसदी के बीच रही है। राज्य मलेरिया उन्मूलन की राष्ट्रीय रणनीतियों के अनुरूप काम कर रहा है और यह 2027 तक देश में शून्य स्वदेशी संचरण और 2030 तक उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा।
2024 के चार महीने में ही मिल चुके है मलेरिया के 5137 मामले, इसमें एक भी मौत नहीं
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस साल चार महीनों में ही मलेरिया के 5137 नए केस की पुष्टि हो चुकी है। हालांकि अच्छी बात है कि इनमें एक की भी मौत नही हुई है। इन चार माह में सबसे ज्यादा 3194 नए मामले अकेले पश्चिमी सिंहभूम जिले में मिले है। जबकि गोड्डा में 644, पूर्वी सिंहभूम में 501 और रांची में सिर्फ 28 केस दर्ज किए गए।
राज्य भर में विश्व मलेरिया दिवस पर आयोजित क्रियाकलाप
राज्य मलेरिया पदाधिकारी डॉ. बीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि विश्व मलेरिया दिवस के मौके पर लोगों में जागरूकता लाने के लिए राज्य भर में कई क्रियाकलाप आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों में बच्चों के बीच जागरूकता कार्यक्रम के साथ-साथ क्विज व पेंटिंग प्रतियोगिता, गांवों में बैठक किए जाते हैं। सहिया के द्वारा आईपीसी, पदाधिकारियों के साथ कॉओर्डिनेशन मीटिंग, सहिया और स्कूली छात्रों द्वारा रैली, रात्रि चौपाल, पोस्टर बैनर, वॉल पेंटिंग, फ्लैक्स आदि माध्यमों से लोगों को जागरूक किया जाता है।