Samachar Post, रांची : झारखंड में लोकसभा चुनाव का मंच सजने लगा है। इस मंच की शोभा बढ़ानेवाले राजनीतिक कलाकारों के चेहरे भी बदलने लगे हैं। कोई टिकट की आस में पार्टी बदल रहा है, तो कोई पार्टी प्रत्याशी की खोज में लगी है। जमशेदपुर संसदीय सीट पर भाजपा ने वर्तमान सांसद विद्युतवरण महतो पर फिर से भरोसा जताते हुए प्रत्याशी घोषित कर दिया। अब वहां महागठबंधन को प्रत्याशी ढूंढना पड़ रहा है।
कांग्रेस से लड़कर इस सीट को लेनेवाले झामुमो के पास कद्दावर चेहरा नहीं है। पिछली बार यहां से झामुमो ने चंपाई सोरेन को खड़ा किया था। चंपाई अभी मुख्यमंत्री हैं। महतो बहुल जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र में झामुमो का जनाधार भी है, लेकिन कद्दावर प्रत्याशी नहीं है। यही कारण है कि झामुमो भाजपा के कुणाल षाड़ंगी पर डोरे डाल रहा है। वहीं, कई नेता भी टिकट की चाह में हैं लेकिन पार्टी उन्हें धक्का देती जा रही है।
टिकट के इंतजार में बैठी रही अंबा, जेपी पटेल ले उड़े
हजारीबाग में अंबा प्रसाद इंतजार में में बैठी ही रह गईं और भाजपा से आकर जेपी पटेल टिकट ले उड़े। गोड्डा में भी कांग्रेस के कई नेताओं के साथ यही स्थिति होनेवाली है। वहां कांग्रेस में दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। लेकिन, टिकट प्रदीप यादव, दीपिका सिंह पांडेय, फुरकान अंसारी में से किसी एक को ही मिलनेवाला है। अन्य दावेदारों को टिकट नहीं मिलने पर संतोष करना पड़ेगा।
धनबाद में किसी भी दल के पास मजबूत प्रत्याशी नहीं
इसी तरह धनबाद संसदीय क्षेत्र में भी भाजपा समेत अन्य प्रमुख दलों के पास कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं है। वर्तमान सांसद पीएन सिंह की जगह किसी नए प्रत्याशी को खड़ा करने में भाजपा को पसीने छूट रहे हैं। वह वहां कभी कांग्रेस की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है, तो कभी निर्दलीय विधायक सरयू राय के नाम पर ठिठक रही है। वैसे कोयलांचल के कद्दावर नेता रहे समरेश सिंह की बहू परिंदा सिंह भी इस कतार में शामिल हैं। हालांकि, वह 2023 में ही भाजपा में आ चुकी हैं।
चतरा-पलामू में कांग्रेस को दमदार उम्मीदवार की तलाश
चतरा में राजद के सत्यानंद भोक्ता वहां अपना प्रचार शुरू कर चुके हैं। हालांकि, कांग्रेस को यह सीट मिलने पर मजबूत प्रत्याशी का टोटा है। इसी तरह भाजपा राजद से आए गिरिनाथ सिंह के नाम पर गंभीरता से विचार कर रही है। पलामू में भी कांग्रेस के लिए यही स्थिति है। सीट पर कांग्रेस का दावा है। अंतिम समय में यह सीट भले राजद के खाते में चली जाए, लेकिन कांग्रेस को यह सीट मिली, तो उसके पास अपना कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं है।