Samachar Post, रांची : झारखंड की राजधानी रांची के साथ अन्य जिलों में भी इन दिनों बड़ी संख्या में कुत्ते पार्वो वायरस से संक्रमित हो रहे हैं। पेट क्लिनिक, चुटिया के वेटनरी अफसर डॉ समीर सहाय कहते हैं, कैनाइन पार्वो बहुत ही खतरनाक संक्रामक बीमारी है। सबसे गंभीर बात यह है कि इस बीमारी में यदि विलंब से उपचार हुआ तो मृत्युदर 80-90 प्रतिशत है।उन्होंने बताया कि संक्रमण के फैलाव की स्थिति यह है कि चुटिया स्थित पेट क्लिनिक में जहां हर दिन पार्वो से संक्रमित 20-25 कुत्ते पहुंच रहे हैं, वहीं, तुपुदाना स्थित पशु चिकित्सालय में भी औसतन 10 केस हर दिन आ रहे हैं। वेटनरी कॉलेज व अन्य क्लिनिकों का भी यही हाल है। अन्य जिलों में भी इसके संक्रमण की सूचना है।
6 से 20 सप्ताह के पिल्ले आते हैं सबसे ज्यादा चपेट में
डॉ. समीर ने बताया कि इसकी चपेट में सबसे ज्यादा 6 से 20 सप्ताह के पिल्ले आते हैं। लेकिन, इसका संक्रमण किसी भी ऊम्र के कुत्ते में हो सकता है। कुत्ते से यह बिल्ली को भी हो सकता है। डॉ सहाय कहते हैं कि पार्वो वायरस से बचाव का एक मात्र उपाय वार्षिक टीकाकरण है। पार्वो के टीकाकरण का तरीका भी अलग होता है, इसलिए पशु चिकित्सक की देखरेख में ही टीकाकरण जरूरी है। कुत्ता चाहे किसी भी ऊम्र का हो यदि पार्वो वायरस से बचाव का पूर्ण टीकाकरण नहीं हुआ है तो वह इसकी चपेट में आ सकता है। डॉ सहाय कहते हैं इस बीमारी की अच्छी बात यह है कि कोरोना की तरह यह हवा से नहीं फैलता है। साथ ही संक्रमित कुत्ते के संपर्क में आने के बाद भी यह इंसानों में नहीं फैलता है।
क्या है उपचार व बचाव
पार्वो वायरस से बचाव को लेकर डॉ सहाय बताते हैं कि संक्रमित कुत्ते के संपर्क में आया व्यक्ति यदि आपके कुत्ते के संपर्क में आता है तो आपका कुत्ता भी संक्रमित हो सकता है। बचाव के लिए जरूरी है कि अपने कुत्ते को यथा साध्य बाहर न ले जाएं। बाहर संक्रमित या गंदे स्थानों से बचाएं। दूसरे संक्रमित कुत्ते की उल्टी, लार, मल आदि के संपर्क में आने पर संक्रमण फैल सकता है। उन्होंने बताया कि फिलहाल इसके उपचार को ऐसी कोई एंटीवायरल थेरेपी नहीं है। उपचार में ज्यादातर सहायक देखभाल, रोगसूचक उपचार और समग्र स्वास्थ्य का प्रबंधन शामिल होता है। घर पर इसका उपचार संभव नहीं है। अस्पताल में इसके लिए जरूरी सभी दवाएं स्लाईन के माध्यम से दी जाती है।
पार्वो वायरस के लक्षण
डॉ सहाय कहते हैं कि किसी भी मौसम में किसी भी ऊम्र के कुत्ते में यह संक्रमण हो सकता है। संक्रमण फैलने के तीन से दस दिनों में लक्षण दिखने लगते हैं। इसके लक्षणों में सुस्ती, भूख में कमी, अवसाद, जी मिचलाना, उल्टी, दस्त, मल में खून आ सकता है। कुछ मामलों में अचानक तेज बुखार भी आ जाता है।
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(न्यूज सोर्स : लाइव हिन्दूस्तान डॉट कॉम)